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साफगोई, संजीदगी, खालिसी और गहराई के बिना कोई बात कहना सैयद मुनव्वर अली (असल नाम) के लिए मानो नाकाबिल-ए-बर्दाश्त था. मौजूदा दौर में महफिलों में चल रहे 'बाजारूपन' को उन्होंने अपने आसपास फटकने भी नहीं दिया. उर्दू साहित्य के लिए 2014 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे जा चुके राना साहब की पैदाइश 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुई थी.
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