अनुवांशिकता जैव विकास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न :-
1. अनुवांशिकता | 2. आनुवांशिकी | 3. ग्रेगर जॉन मेंडल के प्रयोग | 4. जीन |
अनुवांशिकता :-
जो लक्षण पीढ़ी दर पीढ़ी गमन करते हैं उसे अनुवांशिकता कहते हैं ।
आनुवांशिकी :-
विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत पीढ़ी दर पीढ़ी लक्षणों के गमन का अध्ययन किया जाता है उसे आनुवांशिकी कहते हैं ।
Que :- अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिनता है अधिक स्थाई होती है व्याख्या कीजिए मुझे लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ? अथवा विभिन्नताओ के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज़ का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है ? Ans. :- लैंगिक जनन करने वाले जीवो में अधिक विभिनता उत्पन्न होती है जिस कारण बदलते वातावरण के प्रति अधिक स्थाई होते हैं इन दिनों जीवो में निरंतर विविधता उत्पन्न होने से नई जाति का निर्माण होता है नए जीव जाति का निर्माण होना जैविक विकास कहलाता है जैविक विकास विविधता पर निर्भर करता है ।
ग्रेगर जॉन मेंडल के प्रयोग :-
मैडम ने मटर ( पायसम सेटाइवम ) पर दो प्रयोग किए जो निम्न प्रकार है - 1. एक संकर संकरण । 2. द्वि संकर संकरण । 1. एक संकर संकरण :- एक ही लक्षण को ध्यान में रखते हुए दो सम युग्मक की व विपयाषी पादप के बीच संकरण कराया उसे एक संकर संकरण प्रयोग कहते हैं । जैसे :- लाल पुष्प वाले पौधे का संकरण किसी अन्य सफेद पुष्प वाले पौधे से करवाया । ( इसमें केवल एक ही लक्ष्मण को ध्यान में रखा जो पुष्पो के रंगों पर था ) 2. द्वि संकर संकरण दो लक्षणों को ध्यान में रखते हुए दो समयुग्मक की व विपयाषी लक्षण वाले पादप के बीच में संकरण करवाया उसे द्वी संकर संकरण प्रयोग कहते हैं । जैसे :- गोल व पीले बीज वाले पादप का संकरण किसी अन्य पादप झुर्रिदार व हरे बीज वाले से करवाया । ( इस प्रयोग में 2 लक्षण बीज की आकृति व रंगों को ध्यान में रखते हुए किया )
जीन किसे कहते हैं ?
DNA का वह भाग जिसमें किसी प्रोट्रीन संश्लेषण के लिए सूचना होती है उस प्रोट्रीन को जीन कहते हैं । NOTE :- जीन के द्वारा लक्षणों की अभिव्यक्ति होती है ।
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