लैंगिक जनन अलैंगिक जनन से श्रेष्ठ होता है क्यों ?
इसके महत्वपूर्ण बिंदु निम्न प्रकार है :- (1) अलैंगिक जनन में उत्पन्न होने वाली संतति जनक के समान होती है जिससे अस्तित्व का खतरा बना रहता है क्योंकि यह बदलते वातावरण के प्रति अनुकूलित नहीं होता है इसके विपरीत लैंगिक जनन से उत्पन्न संतति जनक से भिन्न होती है जिससे जाति का स्थायित्व लंबे समय तक बना रहता है । (2) अलैंगिक जनन से नये गुणों का समावेश नहीं होता है जिससे गुणवत्ता में कमी आती है इसके विपरीत लैंगिक जनन से उत्पन्न संतति में नये गुणों का समावेश होता है जिससे गुणवत्ता में वृद्धि होती है ।
अपरा अथवा प्लेसेंटा किसे कहते हैं ?
माता के गर्भाशय में परिवर्तित हो रहे भूर्ण को पोषण प्रदान करवाने के लिए भूर्ण के उत्तक वह गर्भाशय के उत्तक मिलकर एक नाली नुमा संरचना का निर्माण करते हैं जिसे प्लेसेंटा कहते हैं प्लेसेंटा भूर्ण के रोपण का कार्य करता है और इसके अलावा भूर्ण से पोषण , श्वसन व उत्सर्जन प्लेसेंटा के द्वारा होता है |
परागण में निषेचन में अंतर बताइए ?
परागण | निषेचन |
---|---|
पराग कणों का पुष्प की वृत्तिकाग्र तक पहुंचाना परागण कहलाता हैं । | मादा युग्मक व नर युग्मक का मिलना निषेचन कहलाता हैं । |
परागण क्रिया केवल पदार्थों में ही होती है । | निषेचन क्रिया पादप व जंतु दोनों में होती है । |
निषेचन किसे कहते हैं ? समझाइए
निषेचन :- अंडाणु और शुक्राणु के संलयन क्रिया को निषेचन कहते हैं इसके द्वारा युग्मक युग्मक से युग्मनज बनता है युग्मनज का लगातार समसूत्री विभाजन होता है जिससे भ्रूण का निर्माण होता है भ्रूण से शिशु और शिशु का जन्म होना प्रसव कहलाता है ।
लैंगिक जनन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नयोन संक्रमित रोग किसे कहते हैं ?
वे रोग जो लैंगिक गतिविधियों द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है उसे यौन संक्रमित रोग कहते हैं जैसे - एड्स , गोनेरिया , मस्सा आदि । योन संक्रमित रोग से बचने के उपाय :- (1) एक ही जीवन साथी अपनाना चाहिए या एक से अधिक जीवनसाथी से परहेज रखना चाहिए । (2) कंडोम का उपयोग करना चाहिए । (3) योन संक्रमित व्यक्ति से शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए । (4) जननांगों की नियमित रूप से सफाई करनी चाहिए । (5) यदि किसी भी प्रकार की यौन समस्या हो तो डॉक्टर से खुलकर सलाह लेनी चाहिए ।
लैंगिक जननमासिक चक्र ( रज चक्र ) किसे कहते हैं ? समझाइए
मासिक चक्र ( रज चक्र ) :- निषेचन क्रिया के दौरान भ्रूण को पोषण प्रदान कराने के लिए गर्भाशय की भक्ति में रक्त व श्लष्मा एकत्रित हो जाता है जब निषेचन क्रिया नहीं होती है तो 2 दिन बाद अंडा नष्ट हो जाता है और गर्भाशय की पेशियों में संकुचन होता है जिसके कारण योनि के द्वारा श्लेष्मा व रक्त बाहर आना प्रारंभ हो जाता है जिसे रजोदर्शन कहते हैं | प्रत्येक माह में भ्रूण को पोषण प्रदान करवाने के लिए गर्भाशय में श्लेष्मा और रक्त एकत्रित हो जाता है और निषेचन क्रिया नहीं होती है तो योनि के द्वारा श्लेष्मा व रक्त बाहर आ जाता है जिसे मासिक चक्र कहते हैं यह 28 दिन का होता है औरतों में 40 50 वर्ष की उम्र में मासिक चक्र बंद हो जाता है जिसे रजोनोवृति कहते हैं ।
मादा जनन तंत्र का सचित्र वर्णनगर्भनिरोधक
कॉपर , लूप , कंडोम , नसबंदी ( शल्य चिकित्सा द्वारा अंडवाहिनियो व शुक्र वाहिनियो को अवरुद्ध कर देना नसबंदी कहलाता है )
नर जनन तंत्र का सचित्र वर्णनजन्म दर :- 1 वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों पर जन्म लेने वाले बच्चों की औसत संख्या को जन्म दर कहते हैं | मृत्यु दर :- 1 वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों पर मरने वालों की औसत संख्या को मृत्यु दर कहते हैं |
No comments:
Post a Comment