17 वीं शताब्दी में मुगल साम्राज्य के विघटन की प्रक्रिया प्रारम्भ होने के साथ ही देश में स्वतन्त्र राज्यों की स्थापना का जो सिलसिला आरम्भ हुआ उनमें राजनीतिक दृष्टि से सर्वाधिक शक्तिशाली राज्य मराठों का था। ग्राण्ट डफ के अनुसार सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में मराठों का उदय “आकस्मिक अग्निकाण्ड" की भाँति हुआ। मराठा साम्राज्य के संस्थापक शिवाजी थे।
शिवाजी (1627-80 ई)
जन्म :- 19 फरवरी, 630 ई. पिता का नाम :- शाहजी भौंसले माता का नाम :- जीजाबाई पत्नी का नाम :- तुकाबाई मोहिते, साइबाई निम्बालकर धार्मिक गुरु :- स्वामी रामदास (धरकरी सम्प्रदाय) गुरु व संरक्षक :- दादा कोणदेव राजधानी :- रायगढ़ व्यक्तित्व पर प्रभाव :- माता जीजाबाई राज्याभिषेक :- 14 जून, 1674 उपाधि :- छत्रपति, राजा (औरंगजेब द्वारा दी गयी) निधन :- 3 अप्रैल, 1680 शिवाजी के व्यक्तित्व पर महत्वपूर्ण प्रभाव माता जीजाबाई का पड़ा | शिवाजी ने “हिन्दू पद पादशाही” अंगीकार की और हिन्दुत्व धर्मोद्धारक की उपाधि धारण की। सर्वप्रथम शिवाजी ने 1648 ई. में बीजापुर के सिंहगढ़ के किले पर अधिकार किया। तत्पश्चात् 1646 ई. में उन्होंने तोरण पर अधिकार कर लिया। 1656 ई. तक शिवाजी ने चाकन, पुरन्दर, बारामती, सूपा, तिकोना, लोहगढ़ आदि किलों पर अधिकार कर लिया। 1656 ई. में शिवाजी की महत्वपूर्ण विजय जावली की थी। जावली एक मराठा सरदार चन्द्रराव मोरे के अधिकार में था | अप्रैल 1656 ई. में उन्होंने रायगढ़ के किले पर अधिकार कर लिया, जिसे उन्होंने अपनी राजधानी बनाया । शिवाजी की विस्तारवादी नीति से बीजापुर शासक सशंकित हो उठा, उसने शिवाजी की शक्ति को दबाने तथा कैद करने के लिए अपने योग्य सरदार अफजल खाँ को भेजा। ब्राह्मण दूत कृष्णाजी भास्कर से अफजल खाँ की मंशा का पता शिवाजी को चला। शिवाजी ने 2 नवम्बर, 1659 ई. को अफजल खाँ की हत्या कर दी। 1660 ई. में मुगल शासक औरंगजेब ने शाइस्ता खाँ को शिवाजी को समाप्त करने के लिए दक्षिण का गवर्नर बनाकर भेजा। शाइस्ता खाँ ने बीजापुर के शासक से मिलकर शिवाजी को समाप्त करने की योजना बनाई | शिवाजी ने अफजल खाँ पर रात्रि में चुपके से आक्रमण कर दिया। अफजल खाँ घबराकर भाग गया। शिवाजी ने 1664 ई. में एवं 1679 ई. में सूरत को लूटा । 1665 ई. में शिवाजी की जयसिंह से पुरन्दर की सन्धि हुई थी। जिसके अनुसार 1666 ई. में शिवाजी मुगल दरबार आगरा पहुँचे | शिवाजी मुगल दरबार (जयपुर भवन आगरा) में कैद से सफलतापूर्वक निकल कर भागे एवं 22 सितम्बर, 1666 ई. को रायगढ़ पहुँचे ।
निम्न जाति आन्दोलन
ज्योतिबा फूले ने अपनी पुस्तक “गुलामगिरी" (1872) तथा *सत्यशोधक समाज” जैसी पुस्तकों और संगठनों द्वारा निम्न जातियों को ब्राह्मणों और उनके धार्मिक ग्रन्थों से सुरक्षा दिलाने की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने हरिजनों या दलितों के कल्याण एवं अछूतोद्वार हेतु 1924 ई. में अखिल भारतीय दलित वर्ग की स्थापना की तथा 1927 ई. में उन्होंने “बहिष्कृत भारत” नामक पत्रिका का प्रकाशन किया । राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सर्वप्रथम अछूतों को हरिजन (भगवान के जन) का नाम दिया साथ ही इनके कल्याण के लिए 1932 ई. में "अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ" की स्थापना की, इसी संस्था को बाद में “हरिजन सेवक संघ” के नांम से जाना गया। 1906 ई. में बी. आर. शिन्दे ने “डिप्रेस्ड क्लासेज मिशन सोसाइटी” की स्थापना की | 1925 ई. में बी. रामास्वामी नायकर ने दक्षिण भारत में “आत्मसम्मान आन्दोलन” चलाया था। यह आन्दोलन दक्षिण भारत में ब्राह्मणों द्वारा जातीय भेदभाव के विरोध में प्रारम्भ किया गया था। सी. एन. मुदालियर , टी. एम. नायर, पी. टी. चेननी ने दक्षिण भारत में अस्पृश्यता को समाप्त के लिए 96 ई. में “जस्टिस पार्टी" की स्थापना की | "गुरु वायूर सत्याग्रह” दलित जातियों के मन्दिर प्रवेश के मुद्दे पर हुआ। इस आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता के. केलप्पण थे | इस आन्दोलन में पी. कृष्णपिल्लै व ए. के. गोपाल जैसे नेताओं ने भाग लिया। नदार आन्दोलन द्वारा 1925 ई. में तमिलनाडु में सभाओं के माध्यम से सामाजिक भेदभाव, अस्पृश्यता का विरोध करना था तथा नदार जाति के सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता देना था।
निम्न जाति आंन्दोलन
संस्था | स्थान | संस्थापक | वर्ष |
---|---|---|---|
डिप्रेस्ड क्लास मिशन सोसायटी | बम्बई | वी .आर. शिन्दे | 1906 |
बहुजन समान आंदोलन | महाराष्ट्र | शंकर राव जाधव | - |
अखिल भारतीय अस्पृश्यता निवारण संघ | बम्बई | महात्मा गाँधी | 1932 |
सत्य शेधक समाज | बम्बई | ज्योतिबा फूले | 1873 |
“दि आल इण्डिया डिप्रेस्ड क्लास फेडरेशन" | बम्बई | डॉ. भीमराव अम्बेडकर | 1920 |
बहिष्कृत हितकारिणी सभा | बम्बई | डॉ. भीमराव अम्बेडकर | 1924 |
समाज समता संघ | बम्बई | डॉ. भीमराव अम्बेडकर | 1927 |
ऑल इण्डिया डिप्रेस्ड क्लास एसोसिएसन | बम्बई | महात्मा गाँधी | 1932 |
अनुसूचित जाति परिसंघ | - | डॉ. भीमराव अम्बेडकर | 1942 |
दक्षिण भारत में निम्न जाति आन्दोलन
संस्था | स्थान | संस्थापक | वर्ष |
---|---|---|---|
अरुविप्पुरम आंदोलन | केरल | नारायण गुरु | 1888 |
जस्टिस आन्दोलन (न्याय आन्दोलन) | द. भारत | सी एन. मुदलियर, टी एम. नायर, पी. त्यागराज | 1916 |
आत्म-सम्मान आन्दोलन | मद्रास | ई वी. रामास्वामी नायकर उर्फ पेरियार | 1920 |
नायर सर्विस सोसायटी | मद्रास | मन्नार पद्मानाभ पिल्लई | 1914 |
प्रजा मित्र मण्डली | मद्रास | सी.आर. रेड्डी | - |
वायकोम सत्याग्रह | त्राणकोर (केरल) | के पी केशव मेनन तथा ई वी रामास्वामी नायकर | 1924 |
गुरुवायूर सत्याग्रह | केरल | के. केलप्पन | 1931-36 |
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