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मिखाइल गोर्बाचेव जब सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव और देश के राष्ट्रपति बने, तब सोवियत संघ अमेरिका का प्रतिद्वंद्वी था लेकिन गोर्बाचेव ने सोवियत संघ का नेता बनने के बाद खुलापन लाने और पुनर्रचना की योजनाएं शुरू की थीं. इससे कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ नेताओं ने 1991 में उनका तख्ता पलटने की कोशिश की थी. उन नेताओं का आरोप था कि गोर्बाचेव पश्चिमी देशों की तरफ झुक गए हैं. गोर्बाचेव पर अमेरिका का एजेंट होने के आरोप भी लगे थे.
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