ऋषभदेव जैन धर्म के संस्थापक एवं प्रथम तीर्थंकर थे | जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर पाश्वनाथ थे। यह पार्श्वनाथ काशी (वाराणसी ) के इक्ष्वांकु वंशीय राजा अश्वसेन के पुत्र थे। जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी थे।
महावीर स्वामी का जीवन परिचय
प्रारम्भिक नाम -- वर्द्धमान जन्म -- 599 ई पू. जन्म स्थान -- कुण्डग्राम (वैशाली) पिता का नाम -- सिद्धार्थ (जात्रक कुल के मुखिया) माता का नाम --. त्रिशला (लिच्छवि राज्य के राजा चेतक की बहन) पत्नी का नाम -- यशोदा (कृुण्डिन्य और गोत्र की कन्या) पुत्री का नाम -- अणोज्जा या प्रियदर्शना दामाद का नाम -- जमालि (महावीर का प्रथम शिष्य) ज्ञान की प्राप्ति (कैवल्य )-- जुम्भिकग्राम (ऋजुपालिका नदी के तट पर साल वक्ष के नीचे) प्रथम उपदेश -- राजगृह (विपुलाचन पहाड़ी पर वाराकर नदी तट पर) प्रथम भिक्षुणी -- चन्दना (चम्पा नरेश दधिवाहन की पुत्री)
महावीर ने 30 वर्ष की उम्र में माता-पिता की मृत्यु के पश्चात् अपने बड़े भाई नन्दिवर्धन से अनुमति लेकर संन्यास जीवन को स्वीकार किया | अनेकान्तवाद का सिद्धान्त (स्यादवाद ) एवं दर्शन तथा अणुव्रत सिद्धांत जैन धर्म का है। जैन धर्म का आधारभूत सिद्धांत 'अहिंसा' है।
जैन तीर्थंकर तथा उनके प्रतीक
तीर्थकर | प्रतीक चिन्ह |
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आदिनाथ या ऋषभनाथ | वृषभ या साँड़ अथवा बैल |
अजितनाथ | हाथी (गज) |
सम्भवनाथ | घोड़ा (अश्व) |
अभिनन्दननाथ | कपि (बन्दर) |
सुमतिनाथ | क्रौंच (चकवा) पक्षी |
पद्मप्रभु | पद्म |
सुपार्श्वनाथ | स्वास्तिक |
चन्द्रप्रभु | चन्द्रमा |
सुविधिनाथ | मकर |
शीतलनाथ | श्रीवत्स |
श्रेयांसनाथ | गैंडा |
वासु पूज्यनाथ | महिष (भैंसा) |
विमलनाथ | वाराह (सुअर) |
अनन्तनाथ | श्येन (बाज पक्षी) |
धर्मनाथ | वज्र |
शान्तिनाथ | मृग (हरिण) |
कुन्थुनाथ | अज (बकरा) |
अरनाथ | मीन (मछली) |
मल्लिनाथ | कलश |
मुनिसुव्रत | कूर्म |
नेमिनाथ | नीलोत्पल |
अरिष्टिनेमि | शंख |
पार्श्वनाथ | सर्पफण (पार्श्वनाथ को 'सर्पेश्वर' भी कहा जाता है) |
महावीर | शेर ( सिंह ) |
जैन संगीतियाँ
संगीति | आयोजन वर्ष | आयोजन स्थल | अध्यक्ष |
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प्रथम | 300 ई. पू. | पाटलिपुत्र | स्थूलभद्र |
द्वितीय | 513 ई. पू. | बल्लभी | देवधिरक्षमाश्रमण |
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